Monday, October 31, 2011

हमारे गाँधी



कोमल क़दमों से चले थे वो जिस राह पर ,
है चलना अब हमको भी उन निर्देशित राहों पर ,
जिस तरह किया था उन्होंने भारत का नव-निर्माण ,
हमको भी अब करना यही ,
यही नव -निर्वाण अब ,
दिया उन्होंने प्रेरणा बने रहने का अहिंसात्मक ,
किया हम नव युवकों ने यह निर्वाह अब ,
लड़े थे वो लड़ाई उन अँगरेज़ दुश्मनों से ,
हमे लड़नी है लड़ाई अब खुद के ही बन्दों से ,
लहराया तिरंगा जबहुआ दिल गद-गद उनका भी ,
आखों में पानी भी आया और दिल रोवा उनका भी ,
कहा उन्होंने मैं तो हूँ एक इंसान पर तुम हो क्या यह जान लो ,
सच्चाई और अहिंसा का दामन अब थाम लो ,
तुम भी लड़ना बन के गाँधी ,
भारत माँ के पुत्र ,
चल रहा हूँ अब मैं बस --संभालो यह तिरंगा अब..............

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