Wednesday, July 17, 2013

barsaat -jab hui mai mast

खिलखिलाते  मुस्कुराते  चेहरे 

दिल में नयी  तरंग  लिये 

एक उमंग  लिये 

निकल आये  बच्चे  घर के  बाहर 

भीगने पानी  की  बूंदों  में 

मैं आयी  और  आकर  सबको मस्त  कर गयी 

इन रिमझिम रिमझिम बारिश से !

जब हुई मै  मस्त !

 

 हसते खिलखिलाते  चेहरे दिखे 

बारिश से भीगे ये नज़ारे दिखे 

बादल आये चारो ओर से 

तब हुई ये बरसात 

मस्त हो धरती की प्यास बुझा गयी 

जब हुई मई मस्त !

 

 हवाओं  में लहराती बलखाती 

 हो मस्त मैं आयी हूं  आज 

 आयी  हूं   बांटने कुछ ख़ास 

 ये मस्त  हवायें ये मस्त फिजायें 

 आयेंगे सबको  रास 

 ये मोर भी अब नाच  उठेंगे 

 जब होऊँगी  मैं मस्त  !

 घास  उगी हरी - हरी और फूलों के भी चेहरे खिल उठे 

 सपनों  में  पंख  लगाने आयी  फिर मैं आज 

 दिया धन मैंने आपनी बूंदों से 

 जब हुयी मैं मस्त  !

 कलम उठा लिखा मैंने इन गीतों को संगीतों को 

 देखा इनकी हर अदाओं को 

 जब हुयी ये मस्त !