फूलों पर बैठी तितली की जैसी ये ज़िन्दगी हसीं ,
है दरिया से गहरी और पत्थरों से भी हठी ,
नए रंग अपने दिखाए रोज़ येज़िन्दगी हसीं ,
हसीना से भी ज्यादा करे ये नखरे हसीं ,
आग का दरिया और काटों के रास्ते से है भरी ,
जीतता है जो मुसाफिर इनसे ,ज़िन्दगी दे उन्हें ज़िन्दगी हसीं ।