खिलखिलाते मुस्कुराते चेहरे
दिल में नयी तरंग लिये
एक उमंग लिये
निकल आये बच्चे घर के बाहर
भीगने पानी की बूंदों में
मैं आयी और आकर सबको मस्त कर गयी
इन रिमझिम रिमझिम बारिश से !
जब हुई मै मस्त !
हसते खिलखिलाते चेहरे दिखे
बारिश से भीगे ये नज़ारे दिखे
बादल आये चारो ओर से
तब हुई ये बरसात
मस्त हो धरती की प्यास बुझा गयी
जब हुई मई मस्त !
हवाओं में लहराती बलखाती
हो मस्त मैं आयी हूं आज
आयी हूं बांटने कुछ ख़ास
ये मस्त हवायें ये मस्त फिजायें
आयेंगे सबको रास
ये मोर भी अब नाच उठेंगे
जब होऊँगी मैं मस्त !
घास उगी हरी - हरी और फूलों के भी चेहरे खिल उठे
सपनों में पंख लगाने आयी फिर मैं आज
दिया धन मैंने आपनी बूंदों से
जब हुयी मैं मस्त !
कलम उठा लिखा मैंने इन गीतों को संगीतों को
देखा इनकी हर अदाओं को
जब हुयी ये मस्त !